RELATIONS : Ek Kandhe Kee Chahat .....!
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RELATIONS : Ek Kandhe Kee Chahat .....!

Regional Manager RBO RaeBareli
क्या कभी कोई

अपना सिर

अपनी ही गोद में रख कर सोया है ?

क्या कभी कोई

अपना सिर

अपने ही कंधे पर रख कर रोया है ?

क्यों ? कोई ?

नहीं चाहता कभी,

अपना सुख दुःख,

स्वयं में समेटे रखना ?

अपने में जीना ?

अपने में मरना ?

और गुमनामी लपटे रखना ?

क्यों ?

इसीलिए

क्या ?,

रिश्ते जन्म लेते हैं ?

और

हमेशा अहम् होते हैं ?

रिश्ते ...?

अंकुरित होते हैं ?

उगते हैं ?

पनपते हैं ?

बनते हैं ?

या प्रकट होते हैं ?

पता नहीं,

क्यों ?

परन्तु अच्छे लगते हैं ?

हमेशा ?

और जरूरी से लगते है ?

क्यों ?

शायद..कुछ को

हम कभी नहीं समझते हैं ?

और कोशिश ?

भी नहीं करते हैं ?

भटकते है ?

एक कंधे की चाहत

और

अपना कन्धा खाली रखने की आदत

क्यों ?

बने रहना चाहते हैं ?

हम बीज

सब आत्मसात हैं जिसमे ? ,

ऐसा रिश्ता

जड़, तना और पत्ते

सब साथ साथ है जिसमे ?

क्यों ?

फिर सब बनाते है ?

एक नन्हा पौधा,

बढ़ना जिसकी नियति है ?

और

बढ़ कर दूर दूर हो जाना ?

या

दूर दूर होकर बढ़ जाना ?

जिसकी परिणिति है,

क्यों ?

दोहराया जाता है ?

बार बार ...

ये इति ! हास ?

इतिहास ? जो नहीं है.

******************

- शिव प्रकाश मिश्रा

 

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