DEFEAT OF ANNA HAZARE In HISAR
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DEFEAT OF ANNA HAZARE in HISAR

समाजसेवी अन्ना हजारे न  चाह कर भी  हिसार  में बुरी तरह मुंह के बल जा गिरे , न न ,ताज्जुब  मत करिए , अब देखिये  न उन्होंने देश से भ्रस्टाचार  मिटाने के लिए अपना जीवन दांव प़र लगा रखा है .......................!

और उनकी टीम के जांबाज सेनानी  हिसार में दिन रात एक किये रहे , मगर  चुनाव आयोग  में  बाकायदा हलफनामा  दे कर बताने वाले ( क़ि उन प़र अपराध और भ्रस्टाचार के मुकदमें  हैं), अन्ना को अंगूठा दिखा कर जीत कर उसी सदन में पंहुच गए , जहाँ " जनलोकपाल" के बारे में फैसला लिया जाना  है .

और तो और अन्ना टीम को ठेंगा दिखा कर विजयी  हुये (हजकां-भाजपा के साझा  उम्मीदवार ) कुलदीप विश्नोयी ने अपनी जीत का सेहरा  भी अन्ना से छीन कर अपने स्वर्गीय पिता भजन लाल और भाजपा के सर प़र शान से बांध दिया .और साफ साफ कह डाला क़ी अन्ना फैक्टर  का उनकी जीत में कोई हाथ नहीं है. 

इसे क्या कहेंगे , क़ि अन्ना हजारे ने जिस मुद्दे को लेकर  इतना बड़ा आन्दोलन किया , और अन्ना टीम ने अन्ना क़ी साख  दाँव प़र लगा दी , उसी साख का हिसार में  जनाजा निकाल गया .

अगर अन्ना टीम क़ी या पहली शक्तिपरीक्षा थी , तो निश्चित  ही " हिसार :अन्ना हजारे  हारे और जीत गया भ्रस्टाचार "  प़र अपनी मोहर लगाने वाला देश का प्रथम लोकसभा  क्षेत्र बन कर सारे  देश  का सिरमौर बन गया .

हाँ , यह  बात ज़रूर सामने आ गयी कि, हिसार के  तकरीबन  १३ लाख २४ हज़ार ७८४  मतदाताओं में से अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने वाले ९,१६,४६२ मतदाताओं में  से, अधिकांश  ने अन्ना हजारे को बता दिया कि वह उनके साथ नहीं है .भले  ही अन्ना टीम कितना ही ढिंढोरा क्यूँ  न पीटे. कि हिसार  में विजयी उम्मीदवार उनकी वज़ह से जीता .

उल्लेखनीय  है कि , हजकां - भाजपा के साझा उम्मीदवार कुलदीप बिश्नोई ने ३,५५,९४१  मत पा कर अपने निकटतम उम्मीदवार इनेलो के अजय चौटाला ( ३,४९,६१८ ) को ६,३२३ मतों से हरा कर लोक सभा पहुँच गए , वैसे ये दोनों ही अपराधिक मुकदमों का सामना कर रहे  हैं .कांग्रेस कि तो चर्चा करना ही व्यर्थ है . क्यूंकि एक तो उसका उम्मीदवार तीसरे नंबर प़र आया और वह अपनी ज़मानत भी नहीं बचा पाया .

अगर पहले और दूसरे नंबर प़र आये उम्मीदवारों के मतों को जोड़ा जाये तो कुल मिला कर ७,०५.५५९ होता है .कांग्रेस उम्मीदवार मात्र  १,४९,७८५ वोट  ही पा पाया . यानी कि अन्ना  टीम या अन्ना के आवाहन के खिलाफ ही मतदाताओं ने मतदान किया .

दूसरे शब्दों में आम आदमी की बोल चाल की भाषा में इसे यूँ  कहा जा सकता है कि अन्ना हजारे और उनकी टीम का सारा किया धरा बेकार गया और  जनता ने उन्हें  पूरी तरह नकार दिया अर्थात..

"" हिसार :  हारे अन्ना हजारे  - जीता  भ्रस्टाचार ""

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