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 देश के सबसे बड़े  राज्य में उ.प्र. विधान  सभा  की ४०३ सीटों के लिए  प्रथम चरण की  अधिसूचना जारी होते ही  , प्रदेश की  सत्ता प़र कब्ज़ा करने की  जंग शुरू ही गयी है . मौजूदा  मुख्यमंत्री मायावती ,कांग्रेस  राहुल गाँधी , भाजपा के गडकरी , सपा के मुलायम सिंह  यादव , रालोद के अजीत सिंह , जे.डी.यू. के शरद यादव के अलावा शरद पंवार , ममता बनर्जी , लोजपा के रामविलास पासवान , राजद के लालू यादव  के अलावा छोते  मोटे  दर्जनों समूह (दल) चुनावी जंग में अपनी अपनी मौजूदगी  दर्ज करा कर प्रदेश की  जनता के बीच अपनी -अपनी उपस्थति  दर्ज करा कर अपने अपने अस्तित्व को कायम रखने का प्रयास करने में जुट गयीं हैं . 
वैसे तो मायावती अपनी सत्ता को बरक़रार रखने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देंगीं  मगर इस बात की संभावना काम नज़र आ रही है कि, बिना किसी अन्य दल के सहयोग के सत्ता में उनकी निष्कंटक वापसी हो पायेगी

मायावती जी को चुनौती देने के लिए लगभग सभी महत्वपूर्ण दल चुनावी जंग में ताल ताल ठोंक रहे हैं और कुछ न कुछ नुकसान पंहुचा ही रहे हैं , मगर कोई भी एक दल इस  हालत में नहीं है कि मायावती क़ी सत्ता को अकेले चुनौती दे सकें .इस बात के संभावना भी दूर- दूर  तक  नहीं नज़र आ रही क़ि, कुछ  दलों के बीच कोई चुनावी समझौता हो कर मायावती  का एक ताकतवर  विकल्प सामने आ जायेगा , फिर अभी  तो जंग की शुरुआत ही है और शुरू  में ही किसी प्रकार की निर्णायक बात कह पाना न केवल कठिन
 है बल्कि असम्भव भी है .
हालाँकि  हर दल के लोग जनता को लुभाने में लगे हैं , सपने  दिखाए जा रहे है , प़र हकीकत का कुछ पता नहीं चल रहा है , क़ि मतदाता क़ि कृपा किस दल या उम्मीदवार प़र होने जा रही है .

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