Politics in Democracy
भारतीय लोकतंत्र में सत्ता में बैठा अगर कोई नेता अपनी मनमानी करने प़र उतारू हो जाये तो उसके खिलाफ किसी प्रकार की कार्यवाही किसी स्तर प़र मुमकिन नहीं है , आज देश के अनेक राज्यों में इसका जीवंत उदाहरण देखा जा सकता है .
उत्तर से दक्षिण , पूरब से पश्चिम तक सत्ताधारी अपनी मनमानी कर रहे हैं , जनधन का दुरूपयोग किया जा रहा है , कानून की मनमानी व्याख्या की जा रही है , लोकतंत्र और संविधान की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रहीं हैं , और ऊपर से तुर्रा यह क़ि सारे काम जनहित में किये जा रहें हैं .
न्यायालयों के आदेशों तक क़ी मनमानी व्याख्या कर आदेशों क़ी पालना नहीं क़ी जा रही है .
कुल मिला कर ऐसा आभास हो रहा है क़ि कानून , संविधान , न्यायालय मात्र मूकदर्शी हैं , अधिकांश सत्ताधारी लोकतंत्र में जंगलराज स्थापित कर विचरण कर रहे हैं , जिन्हें भय नाम मात्र को छू तक नहीं गया है .
केंद्र सरकार , राज्यों के खिलाफ कार्रवाई करने से इस लिए बचती है कि , उस प़र विपक्षी दलों क़ी सरकारों के खिलाफ काम करने का आरोप लगेगा और विपक्षी दलों क़ी सरकारें , केंद्र क़ी इस कमजोरी का लाभ उठाने से बाज नहीं आती हैं .
लोकतंत्र का अर्थ न तो मनमानी है और न ही स्वेच्छाचारिता . जनहित के काम ज़रूर किये जाने चाहिए , मगर कानूनों और नियमों के अंतर्गत .मगर हो रहा है ठीक इस से उल्टा ?
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