Misuse of Freedom of Speech
खास बात यह है क़ि अपने आप को बुद्धिजीवी मानने वाले भाषणबाजी , टी.वी ,अख़बारों के ज़रिये ” अभिव्यक्ति क़ी आजादी के अधिकार का दुरूपयोग करते हैं , जो आम और कम पढ़े लिखों क़ी समझ में नही आ पता , तो इस तरह के ( नासमझ ) लोग ज़रा लीक से हट कर “अभिव्यक्ति ” कर बैठते हैं , जो पढ़े लिखे और श्रीमानों क़ी समझ से परे क़ी बात हो जाती है .
काम दोनों का एक ही है ” अभिव्यक्ति क़ी आजादी के अधिकार का इस्तेमाल “.
कमाल है भाई , अधिकार एक .. इस्तेमाल का तरीका अलग -अलग …………
दिक्कत यह है क़ि, “अभिव्यक्ति क़ी आजादी के अधिकार ” को कानूनन रोका भी नहीं जा सकता अन्यथा
मौलिक अधिकारों के हनन का मामला बन जायेगा .और फिर दुनियां भर के अति बुद्धिमानों का समूह हो हल्ला मचाना शुरू कर देगा और शुरू हो जायेगा कुतर्कों का कभी न ख़त्म होने वाला सिलसिला , जिनके लिए पांच सितारा सुविधाओं वाले हालों में सेमिनार आयोजित होंगे और चुके हुये जीवधारी अपने सारी उम्र के तजुर्बे ले कर घंटों प्रवचन करेंगे ( जो कम पढे या गैर अक्ल वालों क़ी समझ से परे होंगे ).
और जब किसी अक्लमंद क़ी बात ऐसे लोगों क़ी समझ में आएगी तो उनका मन और दिल भी ” अभिव्यक्ति क़ी आजादी के अधिकार का इस्तेमाल “.करने के लिए व्याकुल हो उठेगा , और फिर कोई “भूषण कांड ” , (कम पढे या गैर अक्ल वालों ) के द्वारा कर दिया जायेगा , क्यूंकि अभिव्यक्ति तो होनी ही थी .
और इस तरह शुरू हो जायेगा “अभिव्यक्ति क़ी आजादी के अधिकार के इस्तेमाल का ” अंतहीन सिलसिला .
यानि अति बुद्धिमानों और अल्प बुद्धि वालो के बीच ” अभिव्यक्ति क़ी आजादी के अधिकार के इस्तेमाल क़ी जंग “.
और इस जंग के परिणामों से सभी वाकिफ हैं , किसी को बताने क़ी ज़रूरत नहीं हैं …….!!
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